दत्तात्रेय मठ में परम तपस्वी, विरक्त संत स्वामी कष्णनंदेन्द्र सरस्वती उर्फ नारायण स्वामी के श्रद्धान्जली समारोह में पांच घण्टा चला शास्त्रार्थ - जनसच न्यूज़

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Thursday, April 10, 2025

दत्तात्रेय मठ में परम तपस्वी, विरक्त संत स्वामी कष्णनंदेन्द्र सरस्वती उर्फ नारायण स्वामी के श्रद्धान्जली समारोह में पांच घण्टा चला शास्त्रार्थ

 

रिपोर्ट -त्रिपुरारी यादव 

वाराणसी।नारद घाट स्थित दत्तात्रेय मठ में महान तपस्वी एवं विरक्त संत स्वामी कष्णनंदेन्द्र सरस्वती उर्फ नारायण स्वामी के श्रद्धान्जली समारोह में पांच घण्टा विद्वानों, वेद पाठियों का  शास्त्रार्थ चला एवं भक्तों ने तपस्वी स्वामी जी के सानिध्य में काशी के महात्म्य के अनुसार किये काशी यात्राएं, अनुष्ठानों, प्रवचनों एवं सद्कर्मो को याद कर हुये भावविभोर। स्वामी कष्णनंदेन्द्र सरस्वती जी के काशी महात्म्य के  दिखाये मार्ग के अनुसरण का भक्तों ने संकल्प लिया ।श्रद्धान्जली सभा का संचालन करते हुये दत्तात्रेय मठ के मुख्य आचार्य सम्पूर्णानंद दिव्य चेतन ब्रह्मचारी ने कहा कि विरक्त संत दण्डी स्वामी कृष्ण नंदेन्द्र सरस्वती उर्फ नारायण स्वामी जी सन्यासी धर्म के 108 कठिन संकल्प में से 104 संकल्प का अपने सन्यास जीवन में पालन करते हुये कठिन तपस्या कर काशी के महात्म्य को शुद्धता से पूर्ण कर, धर्म के क्षेत्र अनोखा एवं उच्च प्रतिमान स्थापित किया है । काशी में दण्ड धारण के बाद आजीवन काशी के महात्म्य के अनुसार काशी में रहे,प्रतिदिन चार बार गंगा स्नान, नंगे पांव, एक कपड़े में काशी यात्रा सहित मन्दिरों का दर्शन पूजन काशी खण्डोक्त  महात्म्य के अनुसार करते रहे। स्वामी जी आजीवन गंगा जल पीकर एवं काल भैरव मंदिर या विशालाक्क्षी मंदिर का प्रसाद भिक्षा में ग्रहण किये वही उनका आहार था। पूजन अनुष्ठान अपने संसाधन से करते रहे किसी से आज तक एक पैसे का सहयोग या दक्षिणा नही लिये। भक्त विनय शंकर राय "मुन्ना" ने कहा कि भगवान स्वरूप विरक्त संन्यासी स्वामी कष्णनंदेन्द्र सरस्वती जी उर्फ नारायण स्वामी का काशी में हम सबको सानिध्य मिलना परम सौभाग्य रहा , विलुप्त हो रही काशी की यात्राये, महात्म्य एवं अनुष्ठानों अपने गोष्ठी के भक्तों से कराकर  स्वामी जी ने जो धर्म का मार्ग अपने गोष्ठी के भक्तों को दिखाया है उसको निर्वाध रूप से आगे बढ़ाना ही स्वामी जी के प्रति सबसे सच्ची अराधना होगी। श्रद्धान्जली सभा के मुख्य अतिथि स्वाभी वाभनानंद सरस्वती, अध्यक्षता चेतना सरस्वती एवं संचालन सम्पूर्णानंद दिव्य चेतन ब्रह्मचारी ने किया। प्रमुख रूप से विश्व चेतन ब्रह्मचारी, केशव जी, नीरज सिंह, मृत्युंजय जी, सुब्रमण्यम जी, किशन रस्तोगी, राजू महाराज, डब्लू जायसवाल , महेंद्र जी, पप्पू शुक्ला , सुदर्शन जी, सुरेश चौरसिया सहित इत्यादि लोग शास्त्रार्थ एवं सभा में विचार व्यक्त किये।



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