रिपोर्ट -त्रिपुरारी यादव
वाराणसी राजातालाब। आराजी लाइन विकासखंड क्षेत्र के शाहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में आईडियल डेवलपमेंट एजेंसी उड़ीसा के जाजपुर जिले से आये हुए 25 प्रगतिशील किसानों का सब्जी फसलों के माध्यम से फसल विविधिकरण विषय पर आयोजित सात दिवसीय प्रशिक्षण सकुशल संपन्न हुआ।प्रशिक्षण के दौरान वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को समेकित किट एवं रोग प्रबंधन, जैविक खेती, सब्जी पौध ग्राफ्टिंग, बीज उत्पादन, संरक्षित खेती, मशरुम उत्पादन, सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन सम्बन्धित व्याख्यान व प्रायोगिक ज्ञान दिया गया। अधिक लाभ अर्जित करने के लिए किसानों को धान के क्षेत्रफल को कम करने एवं सभी सब्जी फसलों के उन्नत किस्मों को अपनाने पर जोर दिया गया।संस्थान के निदेशक डॉ. नागेन्द्र राय ने वैश्विक बाजार एवं सब्जी उत्पादन के खेती में होने वाले मूलभूत समस्याओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए किसानों को निर्यात योग्य एवं रंग-बिरंगी सब्जियों को उगाने पर बल देते हुए ताजी सब्जियों की मानक अनुरुप गुणवत्ता बनाये रखना, प्रसंस्करण व मूल्य सम्बर्धन आज की आवश्यकता है।प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नीरज सिंह ने बताया कि बाजार का अवलोकन कर, प्रमाणित बीजों एवं दवाओं का चयन तथा सामूहिक खेती के माध्यम से किसान भाई बाजार एवं निर्यातक से जुड़कर लाभप्रद खेती कर सकते है। डॉ. डी.आर. भारद्वाज, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा कद्दूवर्गीय सब्जियों को पूरे वर्ष बाजार में उपलब्धता बनायें रखने के लिए मौसम के अनुकूल खेतों में, नदियों के किनारे, पाली हाउस व लो टनेल जैसी संरचना में जैविक व कार्बनिक खेती की पद्धति को अपनाने के साथ ही साथ सही अवस्था में मानक के अनुरुप तुड़ाई करके अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते है। किसान अतिरिक्त समय में ककड़ी, खरबूजा, तरबूजा, कुम्हड़ा आदि कि बीज कवच हटाकर उन्हे अधिक मूल्य पर बेच सकते हैं।प्रशिक्षण समापन पर संस्थान के निदेशक डॉ. नागेन्द्र राय द्वारा किसानों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र, बैग, सब्जी स्मारिका एवं किचेन पैकेट आदि का वितरण किया गया। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. नीरज सिंह, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।
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