रिपोर्ट -त्रिपुरारी यादव
वाराणसी राजातालाब।आराजी लाइन विकासखंड क्षेत्र के शाहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में "सामाजिक वैज्ञानिक उत्तरदायित्व" पहल के तहत "दलहनी सब्जियों में संकरण तकनीक और आनुवंशिक सुधार पर व्यावहारिक प्रशिक्षण" पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन द्वारा प्रायोजित था और इसे एसईआरबी परियोजना के तहत आयोजित किया गया।इस विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के कुल 45 शोध छात्र सक्रिय रूप से शामिल हुए। कार्यकारी निदेशक डॉ. नागेंद्र राय ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए टिकाऊ कृषि में दलहन फसलों के महत्व और देश की पोषण सुरक्षा में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। प्रशिक्षण का नेतृत्व डॉ. ज्योति देवी, डॉ. आर.के. दुबे और डॉ. विद्या सागर ने किया। जिन्होंने प्रतिभागियों को संकरण तकनीकों, चयन रणनीतियों और दलहन प्रजनन में आणविक उपकरणों के उपयोग पर व्यापक जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम की मुख्य विशेषता प्रायोगिक क्षेत्र एवं प्रयोगशाला सत्र थे, जहां छात्रों ने आणविक प्रजनन और जीनोम संपादन तकनीकों का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।जो कि आधुनिक फसल सुधार में अत्यंत आवश्यक हैं। प्रतिभागियों ने आईआईवीआर के परीक्षण खेत का भी दौरा किया जहां उन्होंने विभिन्न प्रजनन लाइनों, संकरण विकास कार्यक्रमों और उन्नत अनुसंधान सुविधाओं को देखा और दलहन सुधार की रणनीतियों को समझा। कार्यक्रम के समापन पर प्रमाणपत्र वितरण हुआ जिसमें छात्रों और शोधकर्ताओं की उत्साही भागीदारी को सराहा गया। विशेष रूप से, युवा शोधकर्ता डॉ. गौरव मिश्रा और प्रदीप पांडेय भी प्रशिक्षण के दौरान उपस्थित रहे।
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