श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिवस मंगलाचरण के महत्व पर हुयी चर्चा - जनसच न्यूज़

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Thursday, December 19, 2024

श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिवस मंगलाचरण के महत्व पर हुयी चर्चा

 

कलयुग में जीव मात्र का कल्याण भगवान के नाम जप-अखिलानन्द

चन्दौली डीडीयू नगर। स्थानीय शाह कुटी श्री काली मंदिर के समीप स्थित अन्नपूर्णा वाटिका (नेपाली बाड़ा ) के प्रांगण में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के द्वितीय दिवस को व्यासपीठ से श्रीमद्भागवत भागवत मर्मज्ञ अखिलानन्द जी महाराज ने अपने संबोधन में श्री भागवत जी की महिमा का वर्णन करते हुए मंगलाचरण का विस्तार रुप बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य को प्रारंभ करने से पूर्व मंगलाचरण करना चाहिए क्योंकि उक्त कार्य करने मात्र से उस कार्य में किसी भी प्रकार की अमंगलता का प्रवेश नहीं होता। श्रीमद्भागवत महापुराण के मंगलाचरण का विशेष महत्व है क्योंकि इस श्लोक में किसी भी देवता का स्पष्ट रुप से नाम नहीं है।इसमें सत्यम् परम् धीमहि अर्थात सत्य स्वरुप परमात्मा का ध्यान किया गया है इसलिए सभी अपने-अपने इष्ट के साथ इस मंगलाचरण का प्रयोग करते हैं। श्रीमद् भागवत महापुराण के प्रथम श्लोक का भाव है किम् ध्येयम् जीव मात्र को ध्यान किसका करना चाहिए। बताया कि सत्य स्वरुप परमात्मा का ध्यान ही श्रेष्ठ है सत्यस्वरुप परमात्मा श्री कृष्ण ही है। दूसरे श्लोक का भाव किम्  गेयम् अर्थात् हमें गान किसका करना चाहिए को बताते हुए कहा कि मानव को भगवान के चरित्रों का गान करना चाहिए भगवान का चरित्र ही ईश्वर रुप है। क्योंकि कलिकाल में नाम की बड़ी महिमा है । कलियुग केवल नाम अधारा ।की अद्भुत व्याख्या करते हुए करते हैं ही कलयुग में जीव मात्र का कल्याण भगवान के नाम जप से होता है । भागवत में कहा गया है कलौ केशव कीर्तनात् जो अति सरस है । तृतीय श्लोका भाव उद्धृत करते हुए बताया कि किम् पेयम् अर्थात् रसिक भावुक भक्त को भागवत रुपी फल का पान करना चाहिए उन्होंने भागवत रुपी पुराण की इस श्लोक  पर चर्चा करते भागवत को एक पेय पदार्थ बताया । भागवत के इस रस का पान करने को आतुर भक्त इस का बार-बार पान करते हैं । उन्होंने भागवत महापुराण की महिमा का बखान करते हुए वटवृक्ष स्वरुप बताया जो सनातन संस्कार संस्कृति और सभ्यता सहित राष्ट्र निर्माण की ताकत रखती है भागता आध्यात्मऔर सांसारिक जीवन जीने की कला है जिसमें जब जीव गोता लगाता है तब वह हमेशा उसी रस में डूबे रहना चाहता है कथा में यजमान के रूप मे यज्ञनारायण सिंह व पूनम सिंह रहे। मौके पर उपेन्द्र सिंह, संजय तिवारी,पी एन सिंह, संजय अग्रवाल, दिनेश सिंह, शैलेश तिवारी,बृजेश सिंह, संतोष पाठक, मनोज श्रीवास्तव, संतोष शर्मा, कन्हैया जायसवाल,बंटी सिंह, आलोक पाण्डेय, मिथलेश मिश्रा, अतुल दूबे, सुमित सिंह, विकास चौबे,बेचन पाण्डेय आदि लोग उपस्थित रहे।



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