रिपोर्ट -त्रिपुरारी यादव
वाराणसी।आर्य महिला पी.जी. कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग और रिसर्च सेल के संयुक्त तत्वावधान में "नेविगेटिंग रिसर्च मेथोडॉलॉजिस इन सोशल साइंसेज एंड कॉमर्स" विषयक सप्तदिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर अपना विचार व्यक्त करते हुए इण्डियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मणिपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. आद्या प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि शोध के क्षेत्र में भारत को बहुत कुछ करना है और यह ज़िम्मेदारी युवा पीढ़ी को निभानी है।उन्होंने कहा कि रिसर्च मेथोडोलॉजी बहुत जटिल और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है और इस क्षेत्र में भारत के पिछड़ने का कारण सैकड़ों वर्ष की ग़ुलामी है जिसके कारण हमारी धरोहर सुरक्षित नहीं रह पाई, किंतु आज समय बदल चुका है और सरकार का भरपूर सहयोग भी मिल रहा है।अतः ऐसे सकारात्मक माहौल में युवा शोधकर्ताओं को अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए शोध के क्षेत्र में उचाइयों को छूना है।उन्होंने कहा ग़ुलामी काल में भी भारत की मेधा ने संगीत एवं साहित्य में प्रगति की किंतु शोध में कमी रही जिसे अब पूरा करने का समय आ गया है एवं इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भरपूर सहयोग मिल रहा है।उन्होंने कहा कि सामाजिक विज्ञान संकाय का यूनिवर्स बहुत बड़ा है और अनेक जटिल समस्याओं के समाधान हेतु सही शोध करना है और इसके लिए लगन एवं ईमानदारी की अत्यंत आवश्यकता है,तभी हम समाज में महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगे।सम्मानित अतिथियों में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मृत्युंजय मिश्रा और वाणिज्य विभाग से प्रोफेसर अखिल मिश्रा की उपस्थिति रही।कॉलेज के अभिभावक डॉ.शशिकांत दीक्षित,प्राचार्य प्रोफेसर रचना दुबे व संगोष्ठी समन्वयक अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ अन्नपूर्णा दीक्षित और प्रोफेसर सुचिता त्रिपाठी भी मंचासीन रहे। विषय स्थापना करते हुए कार्यशाला समन्वयक डॉ अन्नपूर्णा दीक्षित ने कहा कि वर्तमान समय में इस प्रकार की कार्यशालाएँ शोध में गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक होती है।
उद्घाटन समारोह में कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर मृत्युंजय मिश्रा ने विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि शोध कुछ नहीं बल्कि सत्य की खोज है।शोध पद्धति के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि आज का समय कौशल विकास का है और यह पद्धति यही कार्य करती है।समय के साथ ही शोध पद्धति में हमने नई प्रक्रियाओं को खोजा है जिसमें परिमाणात्मक व गुणात्मक का मेल होता है मिश्रित प्रक्रिया कहते हैं।साथ ही उन्होंने कहा शोध पद्धति का सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है विषय चयन का और इसे विद्यार्थी को अपनी सामर्थ्य अनुसार ही करना चाहिए। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा के रामकटोरा शाखा के शाखा प्रबंधक ने सभा को संबोधित करते हुए बताया कि बड़ौदा के एक शाखा से शुरू हुआ यह बैंक आज सबसे अधिक शाखाओं वाला बैंक बन गया है।भारत ही नहीं विदेशों में भी अब उनकी शाखाएं हैं।इसी क्रम में प्रोफेसर अखिल मिश्रा,वाणिज्य विभाग, बी.एच.यू. विशिष्ट वक्ता के तौर पर बोलते हुए मालवीय जी के कथन को उद्धृत किया और कहा कि वाणिज्य,सामाजिक विज्ञान या अर्थशास्त्र से अलग नहीं हैं बल्कि उसी का हिस्सा हैं । वर्तमान समय में शोध की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यदि हमने शोध की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया तो हम वैश्विक पटल पर कहीं पीछे रह जाएंगे।शोध एक व्यवस्थित ज्ञान प्रक्रिया है,जिसमें कुछ निर्धारित चरण व प्रक्रियाएं हैं,जिसे हम शोध पद्धति या रिसर्च मेथोडोलॉजी कहते हैं।साथ ही कहा कि यह हमारा उत्तरदायित्व है कि विषय प्रासंगिक व समसामयिक हो।
अतिथियों का स्वागत प्राचार्य प्रोफेसर रचना दुबे ने किया।धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर सुचिता त्रिपाठी ने किया। विषय प्रवर्तन डॉ.अन्नपूर्णा दीक्षित ने किया तथा कार्यक्रम का संचालन डॉ.नमिता गुप्ता जी ने किया। कार्यक्रम में वाणिज्य विभाग व अर्थशास्त्र विभाग के शिक्षकों के साथ ही अन्य विभाग से भी शिक्षक,शिक्षिकाओं की उपस्थिति रही। कार्यशाला में देश विभिन्न राज्यो के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया साथ ही सैकड़ों की संख्या में छात्राएं भी उपस्थित रही।
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