दिल्ली पत्रकारिता जनमत के निर्माण के लिए है पत्रकारों का यह कर्तव्य है कि वह इसे दायित्व समझकर और जनहित की सेवा तथा रक्षा के लिए हमेशा तैयार और संघर्षरत रहे। अपने कर्तव्य का पालन करते समय पत्रकार मानव के मूलभूत और सामाजिक अधिकारों को उचित महत्व दें।उक्त बातें द जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश डी यादव ने कहीं। उन्होंने कहा कि "द जर्नलिस्ट एसोसिएशन" एक संवैधानिक स्वायत्तशासी संगठन है जो पत्रकारिता की स्वतंत्रता और पत्रकारों की रक्षा करने व उसे बनाए रखने एवं पत्रकारों के अधिकारों व उनके दायित्वों के प्रति उचित भावना उत्पन्न करने का दायित्व निभाता हैं। इसकी स्थापना 21 फरवरी 2022 को वाराणसी उत्तर प्रदेश में हुआ।प्रेस परिषद अधिनियम 1978 की धारा 13.2(ख) परिषद को पत्रकारों की सहायता तथा मार्गदर्शन हेतु उच्च व्यवसायिक स्तरों के अनुरूप समाचार पत्रों समाचार एजेंसियों और पत्रकारों के लिए आचार संहिता बनाने का प्रावधान दिया गया है। पत्रकारिता जनमत के निर्माण के लिए है।पत्रकारों का यह कर्तव्य है कि वह इसे दायित्व समझकर और जनहित की सेवा तथा रक्षा के लिए हमेशा तैयार और संघर्षरत रहे। अपने कर्तव्यों का पालन करते समय पत्रकार मानव के मूलभूत और सामाजिक अधिकारों को उचित महत्व दें और समाचारों की रिपोर्ट देते समय उन पर टिप्पणी करते समय सद्भाव और न्याय प्रियता का ध्यान रखें। पत्रकार उन समाचारों और टिप्पणियों पर नियंत्रण रखें जिससे तनाव बढ़ता है और हिंसा को प्रोत्साहन मिलता है। प्रेस के कानून पत्रकारों के लिए कुछ विशेष अधिकार प्रदान करते हैं तो वहीं कुछ कर्तव्यों के लिए बाध्य भी करते हैं, भारत के संविधान में प्रेस के आजादी की गारंटी दी गयी है, परंतु देश के सुरक्षा और एकता के हितों में और विदेशों से संबंधों तथा कानून और व्यवस्था शालीनता और नैतिकता या अदालत की अवमानना मानहानि या अपराध को बढ़ावा देने के मामले में सरकार द्वारा अंकुश लगाया जा सकता है। मानहानि भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 399 के अनुसार राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को अपना ईमानदारी, यश, प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा, मान- सम्मान आदि को सुरक्षित रखने का पूरा अधिकार है। इसे कानून के अनुसार जो कोई या तो बोले गये या पढ़े जाने के आशय से शब्दों या संकेतों द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में आरोप/लांछन लगता है तथा ऐसे आरोप से व्यक्ति की ख्याति की हानि होती है तो वह मानहानि का दावा कर सकता है।दावा साबित होने पर कैद या जुर्माना या दोनों सजा दी जा सकती है। सन् 1971 में अवमानना का नया कानून पारित किया गया। यह कानून अत्यंत व्यापक है तथा थोड़ी सी भी असावधानी संपादक और पत्रकारों को मुसीबत में डाल सकती है।न्यायपालिका की प्रतिष्ठा, गरिमा, अधिकार अथवा निष्पक्षता पर संदेह प्रकट करना न्यायालय की अवमानना है, विचाराधीन मामलों में संबंधित जज,पक्षकारों तथा साक्षियों को प्रभावित करने का प्रयास करना तथा उन पर किसी प्रकार के आरोप लगाना यह न्यायालय की अवमानना है और अदालत की कार्यवाही की रिपोर्ट चोरी छिपे प्रकाशित करना यह न्यायालय की अवमानना है।"अगर आप पत्रकारों की सुरक्षा को महत्वपूर्ण समझते हैं तो द जर्नलिस्ट एसोसिएशन पत्रकार संगठन से जुड़े।" सधन्यवाद।
(राष्ट्रीय अध्यक्ष)
राकेश डी यादव
द जर्नलिस्ट एसोसिएशन
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