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Thursday, August 22, 2024

जिले में मानसिक बीमारियों के विभिन्न लक्षण एवं उपचार के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

चंदौली जिला चिकित्सालय पंडित कमलापति जिला चिकित्सालय के सभागार हाल में 24 विद्यालयों से आए शिक्षकों को जिले स्तर पर मानसिक बीमारियों के विभिन्न पहलू एवं उनके रोकथाम उपचार एवं राज्य स्तरीय पर स्थापित टेलीमानस एवं जिले में स्थापित मानसिक ओपीडी एवं काउंसलिंग सेंटर एवं उनके उपयोग के बारे में विस्तृत चर्चा कर प्रशिक्षण प्रदान किया गया।एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन उद्घाटन कमला पति त्रिपाठी जिला चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ सत्य प्रकाश एवं नोडल अधिकारी डॉ सी पी सिंह ने किया। डॉ सिंह ने इस अवसर कहा कि आज की आधुनिक टेक्नोलॉजी की दुनिया बहुत तेजी से विकास की राह में अग्रसर है।इस चकाचौंध भरी दुनिया में इच्छाओं की अपनी एक गति है।जिसमें इंसान अपनी आशाओं जरूरतों एवं सब कुछ पाने के लिए जी जान से लगा है।जिसके कारण मनुष्य संवेदना,क्षमता, खुशियों,रिश्ते सामाजिकता भूलता जा रहा है।जिसके कारण उसमें मानसिक तनाव एवं चिंता अवसाद आदि मानसिक रोग का रूप लेकर व्यक्ति के जीवन आचरण व्यवहार एवं मानसिक अशांति पैदा हो रही है।प्रतियोगात्मक समय में बच्चों,व्यस्कों व वृद्धों पर अपना असर दिखा रहा है।जिसे कारण हर व्यक्ति बच्चों,बृद्धों में तनाव अन्य मानसिक बीमारियां जन्म ले रही।आज समाज में सामाजिक आर्थिक मानसिक स्तर पर मानसिक बीमारियों का ग्राफ काफी बड़ा है।जिसमें इन तनाव चिंता अवसाद आदि को लेकर जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।डॉ सत्य प्रकाश ने कहा कि मानसिक बीमारियों की उत्पत्ति डर, शक, चिंता एवं तनाव से उत्पन्न होती है जो अलग-अलग तरह की मानसिक बीमारियों का रूप ले लेती हैं।जैसे -अवसाद इस बीमारी में बच्चे हो या वृद्ध यह अपना प्रभाव समान रूप से दिखाता है।आजकल के बच्चों में अधिक देखने को मिल रहा है,जिसके कारण बच्चे आत्महत्या,कुसमायोजित व्यवहार जैसे कम नंबर का आना,शिक्षक द्वारा प्रताड़ित किया जाना या दोस्तों से लड़ाई होना आदि कारण हो सकता है जो मानसिक बीमारी को जन्म दे रही है।मनोचिकित्सक डॉ नितेश सिंह ने कहा कि डब्ल्यूएचओ एक नई बीमारी की जानकारी दे रहे है,जिसे मोबाइल एडिक्शन के नाम से जाना जाता है।जिसकी लत से बच्चों में आक्रामकता आंखों की परेशानी, यादाश्त की कमी,माइग्रेन,सर्वाइकल की समस्या,सामाजिकता की कमी के कुसमायोजित व्यवहार जो अभिभावक के प्रति नकारात्मक व्यवहार आ रहा है।जिसमें कंडेक्ट डिसऑर्डर बीमारी अपना विकट रूप दिखा रही है।आज किशोरों में सिजोफ्रेनिया डिसऑर्डर देखने को मिल रही है,जिसका कारण तनाव है। जिसमें व्यक्ति का चुपचाप रहना,किसी काम को ना कर पाना,अपनी दुनिया में खोए रहना,अपनी दिनचर्या करने में बाधा उत्पन्न होती खोए खोए रहना है।डिसोसिएटिव डिसऑर्डर कम उम्र की बच्चियों में अधिक देखने को मिल रहे हैं।जैसे लड़कियों स्कूल गई,वहीं पर बेहोश होकर गिर जा रही हैं।अजीब सी आवाजें निकालने लगती हैं।दो-दो घंटे दिन में कई बार समस्या का सामना करना पड़ रहा है।ऐसे में माता पिता को मानसिक बीमारियों के लक्षणों के बारे में जानकारी ना होने के कारण परेशान होते है और झाड़-फूंक अन्य चीजों अपने पैसे को बर्बाद कर रहे हैं। जबकि इसका इलाज संभव है आसान तरीकों से ऐसे रोग से रोगी की शारीरिक जांच में सामान्य रहती है और रोगी को लगता है की उससे कोई बड़ी बीमारी हो गई जबकि ऐसा नहीं है।यह मनोचिकित्सक द्वारा कुछ दवाएं एवं काउंसेलिंग के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट अजय कुमार ने कहा कि ऐसे ही मिर्गी की बीमारी होने पर लोग झाड़-फूंक कराते हैं। बल्कि ऐसा करना गलत है इसका भी इलाज मनोचिकित्सक द्वारा दवाओं से ठीक किया जा सकता है।बच्चों में 7 साल से कम उम्र में बच्चों(एडीएचडी) अटेंशन डिफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर कहा जाता है,जिसमें बच्चे एक जगह ठीक से नही रहते कुछ ना कुछ करते हैं।उनका ध्यान इधर-उधर चलता ही रहता है,आवश्यकता से अधिक बात करते हैं दूसरों को परेशान करना आदि करते हैं।ऐसे बच्चों को व्यवहार संबंधित थेरेपी एवं मनोचिकित्सक द्वारा दवा एवं कौंसिलिग की जाती है। तमाम ऐसे मानसिक बीमारियों पर कार्यशाला कर शिक्षक गणों को छोटी बड़ी बच्चों व्यस्को एवं वृद्धों में पाए जाने मानसिक बीमारियों के बारे में जागरूक किया गया।इस अवसर पर जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम डॉक्टर नितेश सिंह मनोचिकित्सक, डॉ अवधेश कुमार साइकेट्रिक सोशल वर्कर, डॉ अजय कुमार क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट उपस्थित रहकर अपनी सहभागिता सुनिश्चित किया।और कहा गया कि मन कक्ष ओपीडी दिन सोमवार बुधवार शुक्रवार जिला चिकित्सालय कक्ष संख्या 40 मन कक्ष एवं टेलीमानस टोल फ्री नंबर 14416 या 1800- 81891- 4416 एवं 7565 802028 संपर्क करें।



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