रिपोर्ट -त्रिपुरारी यादव
वाराणसी रोहनिया। माता आंनदमयी हास्पिटल की दंत चिकित्सक डा दीप्ती कुशवाहा ने बताया कि बच्चों व युवाओं में इस समय दांत सड़न की समस्या काफी बढ़ी है। दाँतों की सडन दांतों के इनेमल के टूटने से होती है, इससे दांतों में छेद हो सकते है जिन्हें कैविटी या दंत क्षय कहा जाता है। दांतों की सड़न मुंह में मौजूद बैक्टीरिया के कारण होती है। ये वैक्टीरिया प्लाक नामक चिपचिपा पदार्थ बनाते है जो दांतों के इनेमल को खा सकता है। इसलिए दांतों में गढ्ढा हो जाता है। जब कार्बोहाइड्रेट (शर्करा और स्टार्च) युक्त खाद्य पदार्थ दांतों पर रह जाते है। ऐसे खाद्य पदार्थों में दूध, सोड़ा, किशमिश, कैंडी, केक, फलों का रस, अनाज और बेड़ शमिल है।मीठे ही पेय पदार्थ पीने खाने के बाद दातों को अच्छी तरह ब्रश से साफ न करना, और दिन भर में बार-बार नाश्ता करना या सोते समय दूध पिलाना और शुष्क मुँह का अनुभव करना ।दांतों की सड़न को रोकने के लिये दिन में कई बार अपने दांत को साफ करें और नियमित रूप से अच्छा मंजन प्रयोग करें। किसी तरह की दांत मे दिक्कत हो तो चिकित्सक के पास जाये संतुलित आहार ले और मीठे यथा स्टार्य युक्त स्नैक्स (पीजा, बर्गर आदि) से बचें।भोजन के कणों को धोने और मुंह को नम रखने के लिए दिन भर पानी पीते रहे। भोजन, पेय और खाने के बर्तन को साझा न करें, जिससे बैक्टीरिया एक मुँह से दूसरे मुंह में स्थानांतरित न हो सके।दांतों की सड़न, कैविटी बच्चों में एक आम समस्या हो गयी है। फ्लोराइड, डेंटल सीलेंट और नियमित रूप से दांतो की सफाई के इस्तेमाल से दांतों की सड़न के ईलाज से रोकथाम में मदद मिल सकती है।
No comments:
Post a Comment