रिपोर्ट -त्रिपुरारी यादव
वाराणसी आराजी लाइन विकासखंड क्षेत्र के मोहनसराय जगरदेवपुर , राजातालाब में किसान अन्दोलन के जनक स्वामी सहजानन्द सरस्वती जी की 74वीं पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर स्वामी सहजानन्द सरस्वती विचार मंच के राष्ट्रीय संयोजक विनय शंकर राय "मुन्ना" के नेतृत्व में स्वामी जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पाजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई और 26 जून को किसान अंदोलन के जनक स्वामी सहजानंद सरस्वती के 74वीं पुण्यतिथि के अवसर पर बनारस के किसान अंदोलन का केन्द्र बैरवन मोहनसराय में सायं 05 बजे से डीह बाबा मैदान में बृहद किसान अधिकार संवाद एवं सम्मान समारोह का आयोजन संयुक्त किसान मजदूर मोर्चा वाराणसी के तत्वावधान में आयोजित करने का सर्वसम्मत से निर्णय हुआ। किसान नेता विनय शंकर राय "मुन्ना" ने कहा कि वन्देअन्नदातारम् का नारा देकर किसान को धरती का साक्षात भगवान मानकर किसान हितों हेतु सृजनात्मक एवं संघर्षशनातक कार्य को ही साधना मानकर आजीवन संघर्ष करने वाले किसान अन्दोलन के जनक योद्धा संन्यासी स्वामी सहजानन्द सरस्वती जी की 74वीं पुण्यतिथि पर किसान अधिकार पर खुली परिचर्चा कर स्वामी जी के मूल सिद्धांत अधिकार के प्रति जागरूक कर पीड़ित किसान को अपने हक अधिकार की रक्षा हेतु स्वतः तैयार करके उसे अपने अधिकार की रक्षा लायक बनाना ही स्वामी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि देते हुये वाराणसी में किसान हित में संघर्ष करने वाले पांच किसानों को सम्मानित किया जायेगा। स्वामी सहजानन्द सरस्वती का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के देवा गाँव में महाशिवरात्री के दिन सन 1889 में एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था,घर के बाद गाजीपुर ,काशी ,और दरभंगा में उनकी शिक्षा हुई, नव युवा काल मे ही वे संन्यास ले लिये।कुछ समय कांग्रेस का कार्य किये, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी स्वामीजी के विचार से सहमत होकर स्वामी से लगातार परामर्श लेते थे, महात्मा गाँधी का विरोध कर स्वामी सहजानन्द सरस्वती जी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ाने और उन्हे जितवाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था । स्वामी जी बिहार के बक्सर होते हुये पटना आये और बिहटा में सीताराम आश्रम मे रहने लगे । 1929 में किसान महासभा का गठन किये और किसानों को हक अधिकार दिलवाने के लिए किसानों को लामबन्द कर आजीवन संघर्ष किये।आजादी के अन्दोलन में किसानों - मजदूरों को जोड़कर देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किये, आजादी के अन्दोलन में अनेकों बार जेल गये । किसान सभा का कार्य करते हुये 26जून 1950 को मुजफ्फरपुर मे देहान्त हो गया । जमीदारी प्रथा का अंत, भूमि हकबंदी कानून ,भूमि सुधार अधिनियम आदि कई कानून बनवाने में स्वामी सहजानन्द सरस्वती जी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है । स्वामी सहजानन्द सरस्वती जी अद्भुत प्रतिभा के धनी थे,रोटी देने वाला किसान भगवान से बड़ा है, किसान ही धरती का साक्षात भगवान है। इस लिये किसान हित में कार्य को साधना मानकर आजीवन किसान हितों हेतु संघर्ष करते रहे। स्वामी जी संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे , अनेकों किताबों की रचना करने वाले महान लेखक, पत्रकार, समाजसुधारक, आजादी के अन्दोलन के नायक , बुद्धिजीवी, क्रान्तिकारी, इतिहासकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आदि शंकराचार्य सम्प्रदाय के दसनामी संन्यासी अखाड़े के दण्डी संन्यासी स्वामी सहजानन्द सरस्वती जी की प्रतिभा समाज को दिशा देती रहेगी, ऐसे महानसन्त की पुण्यतिथि पर वाराणसी सहित पूरे देश का किसान मजदूर कोटि-कोटि नमन करता है ।श्रद्धांजलि देने वाले प्रमुख रूप से नीर सिंह, उदय पटेल, शिव गौड़, अमलेश पटेल, प्रेम शाह, दिनेश तिवारी, हृदय नारायण उपाध्याय, रमेश पटेल, धीरू यादव सहित इत्यादि लोग शामिल थे ।
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