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Sunday, May 12, 2024

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस

 

रिपोर्ट -त्रिपुरारी यादव 

वाराणसी आराजी लाइन विकासखंड क्षेत्र के शाहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा रविवार को अंतर्राष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस मनाया गया। जिसके अंतर्गत नीम वृक्ष पौध रोपण, वैज्ञानिक चर्चा एवं वृहद् कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में फ़सल सुधार विभागाध्यक्ष डॉ. अरविन्द नाथ सिंह ने कार्यक्रम की महत्वा एवं रुपरेखा पर विस्तृत प्रकाश डाला एवं पादप स्वास्थ्य का मनुष्य जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की। डॉ सिंह ने बताया की अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस 2024 का विषय 'पौधा स्वास्थ्य, सुरक्षित व्यापार, डिजिटल प्रौद्योगिकी' है. जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियाँ पारिस्थितिक तंत्र को बदल रही हैं और जैव विविधता को खतरे में डाल रही हैं, साथ ही कीटों के पनपने के लिए नए स्थान बना रही हैं।ऐसे में पौधों की सुरक्षा के लिए कदम उठाकर हम भूख को रोकने, गरीबी को कम करने, जैव विविधता की रक्षा करने और भावी पीढ़ियों के लिए आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।आज के कार्यक्रम की अध्य्क्षता करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ तुषार कांति बेहेरा ने अपने संबोधन में बताया की पेड़-पौधे पृथ्वी का जीवन हैं और हम सभी उन पर आश्रित हैं।हम पेड़-पौधों की वजह से ही सांस लेते हैं और भोजन कर पाते हैं|  पौधे हमारे लिए 80 फीसदी तक भोजन और 98 फीसदी तक ऑक्सीजन पैदा करते हैं. लेकिन आज के दौर में इंसानी बस्ती पौधों के जीवन को नुकसान पहुंचा रही है।कई गंभीर बीमारियां और कीट हर साल 40 फासदी तक खाद्य फसलों को बर्बाद कर देते हैं. जिसके कारण वातावरण में कई बदलाव देखे जा रहे हैं, और इस बदलाव का असर इंसानों पर भी पड़ रहा है. इस बदलाव को रोकने और पौधों के संरक्षण के लिए हर साल 12 मई को अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है यह दिन पौधों के स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ व्यापार सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है। दरअसल यह दिवस भूख को रोकने, गरीबी को कम करने, जैव विविधता की रक्षा करने के लिए खास तौर से पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए पौधों के स्वास्थ्य की रक्षा की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है ।आगे डॉ बेहेरा ने बताया की हर साल 40 प्रतिशत तक खाद्य फसलें पौधों के कीटों और बीमारियों से नष्ट हो जाती हैं, जिसका न केवल कृषि पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, बल्कि वैश्विक भूख भी बढ़ती है| इसके कारण ग्रामीण आजीविका को खतरा होता है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को सालाना 220 अरब डॉलर तक का नुकसान होता है।आक्रामक कीड़े, जो बीमारियां फैला सकते हैं, पौधों के स्वास्थ्य और जैव विविधता के लिए अतिरिक्त खतरा पैदा करते हैं।अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण में पादप स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने  की आवश्यकता है इस पर विशेष जोर दिया।अंतरराष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य दिवस 2024 इस वर्ष 12 मई को मनाया जा रहा है यह तारीख मदर्स डे के साथ मेल खाती है, जो माताओं के प्यार, देखभाल और बलिदान को पहचानने का एक कार्यक्रम है।कार्यक्रम में संबोधन करते हुए डॉ. बेहेरा ने जोर दे कर कहा की 2050 तक बढ़ती वैश्विक आबादी लिए आवश्यक कृषि के सतत विकास में स्वस्थ पौधों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी जो ने केवल पारिस्थितिक तंत्र को विनियमित करने, खाद्य सुरक्षा और पोषण प्रदान करने बल्की  जैव विविधता को बढ़ावा देने में पौधों  एवं उनके स्वास्थ्य का अहम् रोल रहेगा।  कार्यक्रम में संस्थान के सभी वैज्ञानिक एवं कर्मचारीगण गण उपस्थित रहे | कार्यक्रम संचालन डॉ.ए.एन त्रिपाठी  एवं धन्यवाद ज्ञापन पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ के.के पाण्डेय द्वारा किया गया।



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