रिपोर्ट -त्रिपुरारी यादव
वाराणसी रोहनिया।मोहनसराय ट्रान्सपोर्ट नगर योजना से पीड़ित किसानों को कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय एवं जिला अध्यक्ष राजेश्वर पटेल कुरौना सरस्वती विधि महाविद्यालय में यात्रा के दोपहर के पड़ाव स्थल पर मुलाकात करने के लिये बुलाकर उपेक्षा से आक्रोशित किसान संघर्ष समिति के कार्यवाहक अध्यक्ष कृष्ण प्रसाद पटेल उर्फ छेदी बाबा ने कहा कि अन्नदाता किसान के मुद्दे से कोई सरोकार न राहुल गांधी को है न कांग्रेस पार्टी को, कांग्रेस पार्टी किसान संघर्ष करके मर जाता तब केवल राजनीतिक रोटी सेकती है। उसके मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को संघर्ष करना तो दूर, सवाल तक करने से परहेज करना ये सिद्ध करता है कि राहुल गांधी केवल किसानों को अपने खोई राजनीतिक विरासत को पाने के लिये उपयोग करना चाहते है न कि उनका किसानों के साथ हो रहे अन्याय से कोई सरोकार है।आज मोहनसराय ट्रान्सपोर्ट नगर सहित रिंग रोड, स्पोर्ट्स सिटी , काशी द्वार और वैदिक सिटी से प्रभावित किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल को मिलवाने हेतु बुलाकर उपेक्षित कर कांग्रेस पार्टी ने अपना असली चरित्र दिखा दिया है।किसानों ने तय कर लिया है कि अब कांग्रेस पार्टी का बहिष्कार करते हुये कांग्रेस के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से सामूहिक इस्तीफा दिलवाया जायेगा।
23 फरवरी को वाराणसी के सांसद देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भी अगर किसानों के वैधानिक अधिकारों के जेनविन मुद्दे पर वार्ता कर पहल नही करेंगे तो 24 फरवरी को वाराणसी का किसान बड़ी किसान महापंचायत आमंत्रित कर व्यापक अन्दोलन की रणनीति बनेगी। सैकड़ों किसानों ने राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी द्वारा उपेक्षा पर आक्रोश व्यक्त करते हुये कहे कि 2016 से अभी तक दर्जनों बार दिल्ली मे ट्रान्सपोर्ट नगर के किसानों के संघर्ष को सराहते हुये समर्थन और संघर्ष का ऐलान किये लेकिन वाराणसी न्याय यात्रा लेकर आने के दौरान किसान के जेनविन मुद्दे से मुह मोड़ लेना कृषि प्रधान भारत की राजनीति पर अभिशाप है , न्याय यात्रा को किसानों ने अभिशाप यात्रा बताते हुये कहा कि किसानों के ज्वलंत मुद्दे से भागना अपरिपक्व राजनीति का द्योतक है। उपेक्षा के शिकार किसान मुख्य रूप से मेवा पटेल, खटाई लाल , डा विजय नरायण वर्मा, उदय प्रताप पटेल, प्रेम शाह, दिनेश तिवारी, अवधेश प्रताप पटेल, रमेश पटेल, हृदय नरायण उपाध्याय, विजय गुप्ता सहित इत्यादि किसान हुए।
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