श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस प्रयोग योग व वियोग पर हुयी चर्चा - जनसच न्यूज़

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Saturday, November 4, 2023

श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस प्रयोग योग व वियोग पर हुयी चर्चा

 

हृदय में कृष्ण को प्रकट करना ही मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए: अखिलानंद 


चन्दौली डीडीयू नगर । स्थानीय शाह कुटी श्रीकाली मंदिर स्थित अन्नपूर्णा वाटिका प्रांगण में चल रहे सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत् कथा ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस व्यास पीठ से श्रीमद् भागवत् व श्रीमानस मर्मज्ञ  अखिलानन्दजी महाराज ने अपने वक्तव्य में कहा कि पुष्टि पुरुषोत्तम के प्राकट्य से पहले तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जीवन चरित्रों का श्रवण करना पड़ता है क्योंकि श्रीमद् भागवत महापुराण मे भगवान श्री कृष्ण पूर्ण ब्रहम है। और पूर्ण ब्रहम की प्राप्ति बिना राम चरित मानस के नहीं हो सकती। मानस के एक एक पात्र का जीवन आदर्श जीवन है। चाहे भगवान राम का माता पिता भाई भार्या के प्रति जो उन्होंने किया है उसे हमे अपने जीवन में उतारना चाहिए। हमारे मनीषियों ने कहा है कि राम जैसा कोई पुत्र नहीं हो सकता के दशरथ जैसा पिता, कौशल्या जैसी माता भरत जैसा भाई, सीता जैसी कोई पत्नी अथवा वशिष्ठ जैसा गुरू व रावण जैसा शत्रु नहीं हो सकता।इसलिए मानस के एक एक पात्र आदर्श है। अपने सनातन धर्म मे तीन ग्रंथों का विशेष महत्व है। पहला रामायण दूसरा श्रीमद भगवत गीता और तीसरा श्री मद् भागवत् महापुराण रामायण प्रयोग शास्त्र है. अत अनुकरणीय है। श्रीमद् भगवत् गीता यांग शास्त्र है जिसमे श्री कृष्ण ने योग की शिक्षा दी है। तीसरा श्रीमद् भागवत् मयपुराण वियोग है क्योंकि इसमें भगवान के लिए वियोग किया गया है। वियोग अर्थात प्रेम शास्त्र | श्रीमद भागवत महा पुराण में गोपिकाओं से लेकर परीक्षित प्रहलाद व सभी का चरित्र देखा जा सकता है। देखा जाय तो सभी वियोग के द्वारा ही ईश्वर को प्राप्त किए है इसलिए जबतक हम अपने जीवन में मानस के पात्रों को नहीं उतारते तब तक योग की सिद्धि नहीं होती और जब तक अपने जीवन मे योग नहीं आया तब जबतक वियोग नही आता। अर्थात निष्कामता नही आती और तब तक पुष्टि पुरुषोत्तम की प्राप्ति नहीं हो पाती है। अशांतस्य कुत:सुखम्। अशांति में सुख कहां है सुख तो शांति में ही मिलता है। यदि वास्तव में हमे जीवन में सुख शांति और विश्राम चाहिए तो हमे प्रत्येक क्षण भगवान कृष्ण को प्रकट करना है क्योंकि  जब तक हृदय में भगवान नही तब तक शांति नहीं हो सकती। इस मौके पर पी एन सिंह, उपेन्द्र सिंह, बृजेश सिंह, संजय आवाल, संतोष शर्मा,यज्ञनारायण सिंह, दिनेश सिंह, कन्हैयालाल जायसवाल, छाया पाण्डेय, रेखा अग्रवाल, संतोष पाठक, राजेश तिवारी, विकास चौबे,आलोक पांडेय, वैभव तिवारी भागवत नारायण चौरसिया, बंटी सिंह, मिथलेश मिश्रा आदि ने कथा व्यवस्था में सहयोग किया। मौके पर सैकड़ों भक्तों ने कथा रूपी अमृत का लाभ उठाया।



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