रासलीला आध्यात्मिक दृष्टि से काम के विनाश की लीला -अखिलानन्द
चन्दौली डीडीयू नगर। स्थानीय शाहकुटी के समीप श्रीकाली मंदिर मे चल रहे सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत् ज्ञान यज्ञ के षष्ठम दिवस व्यासपीठ से सत्संग करते हुए श्रीभागवत् व श्री मानस मर्मज्ञ श्रद्धेय अखिलानन्द जी महाराज ने अपने उद्बोधन मे माखन लीला गोवर्धन व रासलीला का दर्शन कराते हुए कहा कि प्राकृतिक जीव माखन लीला को माखन चोरी लीला कहते हैं लेकिन जिन्हे हम ईश्वर मानते हैं वे चोरी कैसे कर सकते हैं आंतरिक दृष्टि से भगवान गौ पालक हैं तो गौ से ही दुग्ध माखन आदि प्राप्त होते है । जो कर के रूप मे कंस को दिया जाता था। भगवान ने विचार किया गौ का पालन हम ग्वाल बाल करते हैं तो उसका फल भी उन्हे ही प्राप्त होना चाहिए जिसके फलस्वरूप भगवान द्वारा माखन चोरी लीला की जाती है। गोवर्धन लीला का रसपान कराते हुए कहा कि भगवान भक्त के भीतर अभिमान नहीं देख सकते जब इंद्र को अपने इंद्रत्व का अभिमान हुआ तो भगवान को गोवर्धन लीला करनी पड़ी। और उन्होनें उक्त लीला करके प्रकृति की पूजा करायी । लीला आध्यात्मिक दृष्टि से गो का अर्थ इंद्रीय से है अर्थात अपनी इंद्रीयों को परमात्मा को समर्पित करना ही गोवर्धन लीला है। दूसरे भाव से देखा जाय तो गो का अर्थ गौ से है अर्थात गौ का संवर्धन ही गोवर्धन लीला है। रास पर चर्चा करते हुए कहा कि रासलीला जीवात्मा और परमात्मा का मिलन ही रास है सांसारिक जीव रास मे काम का दर्शन करता है। लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से रासलीला काम के विनाश की लीला है । क्योकि रासमंडल मे जितनी गोपिकाए हैं वह कोई साधारण मनुष्य नहीं बल्कि ऋषि रूपी गोपिकाएं हैं । कथा श्रवण करने वालों में मुख्य रूप से सदानंद दूबे जी,अनिल सिंह,मनोज पाण्डेय, गोपाल शर्मा, ओम तिवारी, पी एन सिंह, उपेन्द्र सिंह, बृजेश सिंह संजय अग्रवाल, संतोष शर्मा,यज्ञनारायण सिंह, दिनेश सिंह, कन्हैयालाल जायसवाल, छाया पाण्डेय, पूनम सिंह, रेखा अग्रवाल, संतोष पाठक, राजेश तिवारी, विकास चौबे,आलोक पांडेय, पवन शुक्ला, शिवम तिवारी, वैभव तिवारी भागवत नारायण चौरसिया, बंटी सिंह, मिथलेश मिश्रा, सुमित सिंह,मनोज श्रीवास्तव , नरेन्द्र मिश्रा ,अशोक कुमार सिंह , विजय यादव, शिवम्,संदीप, विजय कुमार आदि सहित सैकड़ों भक्तों ने कथा रूपी अमृत का रसपान किया ।
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