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Thursday, June 15, 2023

क्राई ने बाल श्रम को रोकने के लिए प्रदेश में शुरू किया अभियान

चन्दौली चकिया क्राई के नॉर्थ रीजन की डायरेक्टर सोहा मोइत्रा ने कहा कि बच्चों का किसी भी प्रकार के कॉमर्शियल काम में शामिल होना उनका बचपन छीन लेता है. यह उन्हें वयस्कों की जिम्मेदारियां ढोने पर विवश करता है. जो उन्हें पढ़ाई के साथ खेलों से भी वंचित कर देता है.

अभियान के औचित्य के पीछे के विचार को विस्तार से बताते हुए क्राई-नॉर्थ की क्षेत्रीय निदेशक सोहा मोइत्रा ने कहा, ''किसी भी तरह के व्यावसायिक काम में बच्चों का शामिल होना उनसे उनका  बचपन छीन लेता है। यह उन्हें वयस्कों की जिम्मेदारियां ढोने पर विवश करता है. जो उन्हें पढ़ाई के साथ खेलों से भी वंचित कर देता है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि गरीब और वंचित परिवारों के बच्चों का काम करना ठीक है. वे भुखमरी और गरीबी से लड़ने में अपने परिवार की मदद कर रहे हैं।  इस मानसिकता को बदलने के लिए क्राई ने कैंपेन शुरू किया है।  इस कैंपेन के जरिए लोगों से अपील है कि बच्चों को नौकरी देकर उनकी मदद न करें। इसकी बजाए उन्हें पढ़ने, खेलने और बचपन जीने के मौके दें। इस मानसिकता को बदलने के प्रयास में हमने इस अभियान की संकल्पना की है। इस अभियान के माध्यम से क्राई का उद्देश्य समुदाय में बच्चों को रोजगार से न जोड़ उन्हें सीखने, खेलने और खुशहाल बचपन जीने के अवसर देकर उनकी मदद करने का संदेश लोगों तक पहुंचाना है।

45% लोगों का मानना है की यदि स्कूली शिक्षा प्रभावित न हो तो बच्चों का परिवार को सहयोग करने के लिए काम करना सही है – क्राई सर्वे  

चाइल्ड राइट्स एंड यू - क्राई वलेन्टीयर्स द्वारा 2022 में एक रैपिड असेसमेंट सर्वे किया गया जिसका मकसद था बालश्रम पर लोगों की धारणाओं को समझना। इस राष्ट्रीय सर्वे में मध्य प्रदेश सहित 26 राज्यों के परिवार सम्मिलित हुए। सर्वे के अनुसार के लगभग 45 प्रतिशत उत्तरदाताओं का यह मानना है की यदि बच्चे अपनी स्कूली शिक्षा को जारी रखते हुए अपने परिवार को सहयोग प्रदान करने के लिए काम करना सही है। लगभग 72% का मानना था कि बाल श्रमिकों को बीमारियाँ होने का अधिक खतरा होता है जबकि 23% अनिश्चित थे, और शायद इसमें शामिल विभिन्न जोखिमों से अनजान थे। सर्वे के अनुसार 31 प्रतिशत उत्तरदाताओं का कहना है कि उन्हें बाल श्रम पर रोक लगाने वाले किसी भी कानून की जानकारी नहीं है। 

“लोगों की सामाजिक धारणा को समझने के लिए क्राई द्वारा किए गए रैपिड असेसमेंट सर्वे मे 79% लोगों ने कहा कि उन्हें कहीं बाल श्रम की जानकारी मिलती है तो वे अथॉरिटी या एनजीओ से संपर्क करेंगे। जबकि 17 फीसदी इस बात को लेकर अनिश्चित थे कि बाल श्रम का पता चलने पर क्या करना चाहिए।अभियान के माध्यम से क्राई बाल श्रम की रिपोर्ट करने के लिए मौजूदा रिपोर्टिंग तंत्र के बारे में नागरिकों को संवेदनशील बनाना चाहता है। हम चाहते हैं कि वे अपने आस-पास किसी भी बाल श्रम के मामलों की सूचना pencil.gov.in या 1098 पर कॉल करके बाल श्रम के खिलाफ खड़े हों”, मोईत्रा ने कहा। 

45% लोगों का मानना है की यदि स्कूली शिक्षा प्रभावित न हो तो बच्चों का परिवार को सहयोग करने के लिए काम करना सही है – क्राई सर्वे  

चाइल्ड राइट्स एंड यू - क्राई वलेन्टीयर्स द्वारा 2022 में एक रैपिड असेसमेंट सर्वे किया गया जिसका मकसद था बालश्रम पर लोगों की धारणाओं को समझना। इस राष्ट्रीय सर्वे मे मध्य प्रदेश सहित 26 राज्यों के परिवार सम्मिलित हुए। सर्वे के अनुसार के लगभग 45 प्रतिशत उत्तरदाताओं का यह मानना है की यदि बच्चे अपनी स्कूली शिक्षा को जारी रखते हुए अपने परिवार को सहयोग प्रदान करने के लिए काम करना सही है। लगभग 72% का मानना था कि बाल श्रमिकों को बीमारियाँ होने का अधिक खतरा होता है जबकि 23% अनिश्चित थे, और शायद इसमें शामिल विभिन्न जोखिमों से अनजान थे। सर्वे के अनुसार 31 प्रतिशत उत्तरदाताओं का कहना है कि उन्हें बाल श्रम पर रोक लगाने वाले किसी भी कानून की जानकारी नहीं है। इस सर्वे मे लगभग 3700 लोगों ने भाग लिया था। 

अभियान के तहत क्राई आवासीय सोसाएटियों तक पहुंचकर नागरिकों को बच्चों को बालश्रम मे सम्मिलित न करने के लिए जागरूक करेगा और उन्हें बाल श्रम के मामलों की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित भी करेगा। क्राई प्रतिनिधि राज्य भर में जागरूकता पोस्टर लगाएगा एवं राष्ट्रव्यापी प्रतिज्ञा अभियान भी चलाया जाएगा जिसके तहत क्राई लोगों से बाल श्रम के खिलाफ प्रतिज्ञा लेने और हस्ताक्षर अभियान में सम्मिलित होकर फोटो या स्क्रीनशॉट लेकर सोशल मीडिया में क्राई को टैग करने का अनुरोध करेगा।

बाल श्रम के प्रति संस्थान के दृष्टिकोण के बारे में बताते हुए मोइत्रा ने कहा, “क्राई  बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCRC) का पालन करता है, जो 0 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के प्रत्येक मनुष्य को एक बच्चे के रूप में परिभाषित करता है, जो शिक्षा, पोषण और संगरक्षण के अधिकार का हकदार है। ये बच्चे न केवल गरीबी के कारण काम कर रहे हैं बल्कि इसलिए भी कि वे सस्ते श्रम प्रदान करते हैं। बाल श्रम कानून के प्रति हमारे समाज को जागरूक होने की जरूरत है। उन्हें यह समझने की जरूरत है कि हमारे बच्चों और बाल श्रमिकों के रूप में काम करने वालों के बीच कोई अंतर नहीं है। इस प्रकार, हमारा मानना है कि यह अभियान इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी स्थापित करने में एक व्यापक भूमिका निभा सकता है।



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