अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना "सब्जी फसल" की 40 वीं वार्षिक बैठक - जनसच न्यूज़

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Saturday, June 18, 2022

अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना "सब्जी फसल" की 40 वीं वार्षिक बैठक

 

रिपोर्ट-त्रिपुरारी यादव

वाराणसी रोहनिया-आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर 15 से 17 जून, 2022 तक भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (सब्जी फसल) की 40 वीं वार्षिक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक के शुभारम्भ के अवसर पर डा. आनन्द कुमार सिंह, उप महानिदेशक (उद्यान विज्ञान), अतिथि विशेष डा. विक्रमादित्य पाण्डेय सहायक महानिदेशक (उद्यान विज्ञान), व डा. बी.के. पाण्डेय, सहायक महानिदेशक (उद्यान विज्ञान) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली ने गुणवत्तायुक्त सब्जी उत्पादन के विभिन्न पहलुओं पर वैज्ञानिकों, उत्पादकों व निर्यातकों का ध्यान आकृष्ट कराया। उप महानिदेशक ने प्राकृतिक खेती के ऊपर विशेष बल दिया तथा वैज्ञानिकों को इसके ऊपर विशेष शोध करने हेतु दिशा-र्निदेश दिए  जिससे कि देश में गुणवत्तायुक्त पोषण से भरपूर सब्जी उत्पादन को बढ़ावा मिल सके। इस बैठक मे देश के जाने माने कृषि वैज्ञानिकों जैसे- पदम् डा. ब्रह्म सिंह, डा. टी.ए. मोरे, डा. टी. जानकीराम, डा. पी.एस. नाईक, डा. बिजेन्द्र सिंह, डा. मेजर सिंह, डा. रमेंश चन्द्र एवं अन्य गणमान्य वैज्ञानिकों ने भाग लिया। डा. राजेश कुमार, प्रभारी परियोजना समन्वयक प्रकोष्ट ने अतिथियों का स्वागत किया। संस्थान के निदेशक व परियोजना समन्वयक प्रो. तुषार कान्ति बेहेरा ने परियोजना की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। संस्थान के सब्जी फसल सुधार विभाग के विभागाध्यक्ष डा. प्रभाकर मोहन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस बैठक में 12 तकनीकी सत्रों के माध्यम से सब्जियों के विभिन्न पहलूओं पर विस्तार से चर्चा किया गया तथा 2022-23 के लिए अनुसंधान कार्यों का लक्ष्य दिया गया। आज दिनांक 17 जून, 2022 को समापन सत्र के दौरान 5 मुक्त परागित किस्मों, चार संकर किस्मों तथा दो रोग-रोधी किस्मों को विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में खेती कि लिए चिन्हित किया गया तथा इसके अतिरिक्त सब्जी उत्पादन, सब्जी बीज उत्पादन, संरक्षित खेती तथा पौध संरक्षण की विभिन्न तकनिकों को विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों के लिए संस्तुत किया गया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि डा. आनन्द कुमार सिंह, उप महानिदेशक (उद्यान विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली ने अपने विचार व्यक्त किये तथा संस्थान के निदेशक प्रो. तुषार कान्ति बेहेरा एवं उनकी टीम के प्रयासों की प्रशंसा की। अन्त में डा. प्रभाकर मोहन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।



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