रिपोर्ट-त्रिपुरारी यादव
वाराणसी रोहनिया- आराजी लाइन विकासखंड क्षेत्र के शाहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के समेकित मधुमक्खी पालन विकास केन्द्र पर अन्तर्राष्ट्रीय मधुमक्खी दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक डॉ. टी. के. बेहेरा ने बताया कि मधुमक्खी पालन, कृषि एवं उद्यानिक फसलों की उत्पादकता एवं कृषकों की आमदनी में बढ़ोत्तरी के लिए कम लागत वाला लाभदायी उद्यम हैं। मधुमक्खी पालन से मधु, मोम, परागण, रायलजैली, मोम एवं मौन विष प्राप्त होने के साथ-साथ फसलों में परागण का जैविक विविधता का संवर्धन होता है। इसी क्रम में फसल सुरक्षा विभाग के विक्षागाध्यक्ष डॉ. के. के. पाण्डेय ने बताया कि शहद को आर्युवेद एवं चिकित्सा विज्ञान में औषधि के रुप में स्वीकार किया गया है। शहद, विटामिन्स एवं खनिज लवणों (कैल्शियम, मैग्नीशियम, पौटेशियम) का मुख्य स्रोत है। यह मानव के प्रतिरक्षातंत्र को प्रभावी एवं शक्तिशाली बनाता है। इस अवसर पर वैज्ञानिक, डॉ. प्रताप दिवेकर ने जानकारी दी कि मधुमक्खी के एक छत्ते से 1,000 रुपये प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रकार किसान खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन करके अपनी आय को दोगुनी कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में संस्थान के फसल उत्पादन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आर. बी. यादव, फसल उन्नयन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पी. एम. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नीरज सिंह, डॉ. राजेश सिंह, डॉ. सुदर्शन मौर्या एवं वैज्ञानिक, डॉ. शुभदीप रॉय, डॉ. अच्युत़, डॉ. ए. एन. त्रिपाठी एवं अन्य वैज्ञानिक सहित 20 पुरुष एवं महिला किसानों ने भाग लिया।
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