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Tuesday, April 12, 2022

किसानों के लिए जागरूकता कार्यक्रम का किया आयोजन

  

रिपोर्ट-त्रिपुरारी यादव

वाराणसी रोहनिया-गंगा के कछार में बड़े क्षेत्रफल में प्राचीन समय से ही किसान परंपरागत ढंग से कददूवर्गीय सब्जियों की खेती करते आ रहे हैं| परंपरागत खेती में आधुनिकता का समावेश करने के लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान शाहंशाहपुर द्वारा 8 कद्दूवर्गीय फसलों पर गंगा के कछार में शोध कार्य उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद, लखनऊ द्वारा वित्त पोषित परियोजना के माध्यम से किया जा रहा है। इस शोध में मुख्य रूप से उन्नतशील कद्दू वर्गीय प्रजातियों का चयन, ज्यादा से ज्यादा जैविक खादो का प्रयोग एवं गुणवत्ता युक्त उत्पादन पर विशेष बल दिया जा रहा है। जिससे गंगा जल की शुद्धता को बनाए रखने में मदद मिल सके।प्रायोगिक तौर पर गंगा के कछार में प्रथम बार टमाटर को उगाने का प्रयोग किया गया जिसका परिणाम सकारात्मक रहा है।इन सभी विधाओं को किसानों तक पहुंचने के लिए संस्थान द्वारा जागरूकता  कार्यक्रम का मंगलवार को मझवा तराश गांव के दियारा क्षेत्र में आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम गंगा के किनारे हो रहे शोध कार्यों को किसानों को दिखाया गया एवं उनके द्वारा पूछे गए सभी प्रश्नों का समाधान किया गया। प्रक्षेत्र भ्रमण के बाद गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे  डॉ पीएम सिंह, विभागाध्यक्ष फसल उन्नयन ने कहा कि संस्थान की प्राथमिकता रही है कि नई तकनीकियों के माध्यम से खेती की लागत को कम किया जाय जिससे मुनाफा में वृद्धि हो सके।  डॉ. सिंह ने सभी किसानों को मिट्टी की जांच करने के लिए एवं अनावश्यक रसायनों का प्रयोग न करने के लिए प्रेरित किए। इस अवसर पर नदी के कछार में खेती करने वाले जागरूक किसान त्रिपुरारी सिंह पटेल ने अपना अनुभव अन्य किसानों के साथ साझा किया। इसी क्रम में इस परियोजना  प्रधान अन्वेषक डॉ. सुधाकर पाण्डेय ने कद्दूवर्गीय सब्जियों की खेती कछार में कैसे करे, पर ब्याख्यान दिया। इस संस्थान के निदेशक डॉ टी के बेहेरा की देखरेख में यह कार्यक्रम संस्थान प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सुधाकर पाण्डेय द्वारा आयोजित किया गया इस अवसर पर किसानों को सब्जी के बीज का वितरण भी किया गया।इस आयोजन को सफल बनाने में संस्थान के कर्मचारी अनिल कुमार सिंह एवं युवा पेशेवर शिवम सिंह,सौरभ सिंह एवं प्रदीप पाण्डेय का भी योगदान रहा।



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