रिपोर्ट-त्रिपुरारी यादव
वाराणसी रोहनिया-जगतपुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संस्कृत-विभाग द्वारा एक सुनिश्चित परिमाप से निर्मित 'नवग्रह मण्डल वाटिका'में जीवन्त नवग्रह के प्रतीक वृक्ष सूर्य हेतु मदार, गुरू-पीपल, शुक्र-गूलर, चन्द्र-पलाश,बुध-अपामार्ग,मंगल-खैर,शनि-शमी,राहु-दूर्वा और केतु हेतु कुश के वृक्ष का विधि-विधानपूर्वक मन्त्रोच्चारण के साथ रोपण किया गया।महाविद्यालय में इस 'नवग्रह-मण्डल वाटिका' की संकल्पना का भूतल पर अवतरण करने वाली एवं संयोजिका लक्ष्मी सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत-भाषा की दिव्यता तथा ऊर्जा के प्रतीक रूप में नवग्रह-मण्डल की यह निर्मित संस्कृति के संवर्धन हेतु वैज्ञानिक-मनोवैज्ञानिक दृष्टि से एक प्रभावपूर्ण कदम है जो भविष्य में पथ प्रदर्शक का कार्य करेगा।महाविद्यालय में 'नवग्रह-मण्डल वाटिका' के निर्माण से चहुंओर हर्षोल्लास का वातावरण बन गया।इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ0 अनिल प्रताप सिंह,निदेशक डॉ0 निलय कुमार सिंह,पूर्व प्राचार्य डॉ0 रमेश चन्द्र पाठक,लक्ष्मी सिंह,डाॅ0 पुष्पा सिंह,डाॅ0 गोपेश्वर शास्त्री,डाॅ0 अमिता श्रीवास्तव सहित संस्कृत-विभाग के छात्र-छात्राओं ने संकल्प लेकर नवग्रह पूजन के साथ नवग्रह-वृक्ष रोपण कर उनके संवर्धन एवं संरक्षण का संकल्प लिया।
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