वाराणसी रोहनिया- भारतीय सब्जी अनुसन्धान संस्थान में "अल्पदोहित सब्जियां: खाद्य, पोषण एवं आर्थिक सुरक्षा का अनछुआ भण्डार” विषय पर 21 दिवसीय शीतकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। इस कार्यक्रम में 13 राज्यों के 25 प्रतिभागी भाग ले रहे है जो देश के विभिन्न कृषि संस्थानों एवं कृषि विश्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक अथवा समकक्ष पदों पर तैनात है। कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ आनन्द कुमार सिंह, उपमहानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली थे। इस अवसर पर डॉ विक्रमादित्य पाण्डेय उपमहानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद्, नई दिल्ली एवं कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू के निदेशक डॉ रमेश चंद विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। संस्थान के निदेशक डॉ तुषार कान्ति बेहेरा ने अपने स्वागत संबोधन में अल्पदोहित सब्जियों की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन पर बल दिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कोर्स डायरेक्टर डॉ राकेश कुमार दुबे ने कार्यक्रम की रूपरेखा से सबको अवगत कराया। अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ आनन्द कुमार सिंह ने फसल विविधिता एवं खाद्य आत्मनिर्भरता हेतु अल्पदोहित सब्जियों को फसल चक्र में समाहित करने का सुझाव दिया। डॉ रमेश चंद ने बताया कि आज के समय में अल्प दोहित सब्जियों की खेती के प्रोत्साहन हेतु नवाचार एवं नवीन शोध की आवश्यकता है । इस प्रशिक्षण में दौरान प्रतिभागियों को अल्पदोहित फसलों से सम्बंधित शोध कार्यों की बारीकियों से अवगत कराया जायेगा। इस दौरान प्रक्षेत्र भ्रमण एवं हितधारकों से परिचर्चा का भी आयोजन किया जायेगा ताकि प्रतिभागियों का अधिकाधिक ज्ञानवर्धन हो सके। इसके अलावा बीएचयू, दिल्ली, हैदराबाद से पधारे अनेक विषय विशेषज्ञ भी प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। इस अवसर पर संस्थान के सभी विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक, कर्मचारी एवं छात्र उपस्थित रहे। 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को डॉ राकेश कुमार दुबे, डॉ इन्दीवर प्रसाद एवं डॉ नकुल गुप्ता की देखेरेख में संचालित किया जायेगा। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ नीरज सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं धन्यवाद प्रस्ताव डॉ इन्दीवर प्रसाद, वैज्ञानिक ने किया।
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