रिपोर्ट-संतोष यादव
सुल्तानपुर। समाजवादी पार्टी अपने संगठन के जिन कार्यकर्ताओं के भरोसे 2022 में सूबे की सत्ता में वापसी का सपना देख रही है नेतृत्व के तानाशाही फैसले उन कार्यकर्ताओं के हौसले तोड़ रहें हैं। सपा अधिवक्ता सभा जिलाध्यक्ष पद पर मनोनीत सूर्यनाथ यादव को तीन महीने में ही बिना कारण बताए पद से छुट्टी दे दी गई। सूर्यनाथ ने नेतृत्व से अपना कसूर जानना चाहा तो जिम्मेदार मौन हैं। सूत्रों की माने तो सूर्यनाथ को अधिवक्ता सभा की जिम्मेदारी उनके पूर्व के कार्यकाल में उनकी सक्रियता के चलते ही मिली थी। अब सवाल यही है कि तीन माह में ही ऐसी क्या स्थिति बनी कि उन्हें हटाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को पत्र जारी करना पड़ा। गौरतलब है कि सूर्यनाथ इसके पहले भी तत्कालीन जिलाध्यक्ष प्रो.रामसहाय यादव, एवं रघुवीर यादव के कार्यकाल में भी अधिवक्ता सभा की कमान संभाल चुके हैं। उनकी सक्रियता के मद्देनजर ही मौजूदा जिलाध्यक्ष ने भी उन्ही को कमान सौंप दी। प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल द्वारा सूची अनुमोदित होने के बाद सूर्यनाथ अधिवक्ता सभा का गठन कर अपनी कमेटी अधिवक्ता सभा के प्रदेश अध्यक्ष को सौंपने के लिए लगातार संपर्क करते रहे उन्हें समय नही दिया गया।कई अधिवक्ताओं ने नेतृत्व के इस फैसले को तानाशाही करार देते हुए कहा कि जिस संगठन के सहारे समाजवादी पार्टी सत्ता में आने का ख्वाब देख रही है, उस संगठन में कार्यकर्ताओं के साथ किस तरह की मनमानी की जा रही है यह भी एक नजीर है।
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