लखनऊ पिछले दिनों उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी प्राइमरी स्कूलों के लगभग 21695 हजार शिक्षकों के तबादले किए जाने से कहीं खुशी तो कहीं गम भी देखा जा रहा है। आपको बता दें कि इससे पहले राज्य सरकार ने 54120 शिक्षकों के तबादले को मंजूरी दी थी लेकिन बीते दिनों हाईकोर्ट के फैसले से हजारों शिक्षकों के आवेदन स्वत: रद्द हो गए! सूत्रों ने बताया कि हाईकोर्ट ने बीते दिनों एक निर्णय दिया कि पुरुष अध्यापकों को नियुक्ति के 5 साल व महिला शिक्षकों को 2 साल पूरे होने के बाद ही तबादला दिया जाएगा, जबकि राज्य सरकार की तबादला नीति के तहत पुरूष शिक्षक 3 वर्ष व महिला शिक्षक 1 वर्ष की सेवा पूरी करने पर तबादले की पात्र थी वही पारस्परिक तबादले में यदि एक शिक्षक इस नियम को पूरा नहीं कर रहा है तो दोनों के आवेदन रद्द कर दिए गए। तबादलों के क्रम में जानकारी प्राप्त हुई कि 1.04 लाख शिक्षकों ने पंजीकरण कराया था और 70838 शिक्षकों ने आवेदन किया था! शिक्षक कहते हैं कि आकांक्षी जिलों के शिक्षकों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो चुकी है। जब शिक्षक भर्ती हुई तब जनपद आकांक्षी नहीं थे किसी भी शिक्षक से किसी प्रकार का कोई दस्तावेज नहीं लिया गया कि आप आकांक्षी जनपद में है तो आपका तबादला नहीं किया जाएगा। महिला व पुरुष शिक्षकों के तबादले की समय अवधि निश्चित की गई थी लेकिन सरकार द्वारा जियो का भी पालन नहीं किया गया। नवंबर 2019 से चली आ रही बेसिक शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रक्रिया की अंतिम सूची बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा जारी कर दी गई है जिसको देखकर तबादले के इच्छुक सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को अत्यधिक निराशा महसूस हो रही है। शिक्षक तबादला लिस्ट में नाम ना पाकर मायूस हैं।घर से पांच सौ,हजार किलोमीटर दूर शिक्षक नौकरी कर रहे हैं जिन्हे समय अवधि पूर्ण करने के बाद सरकार के स्थानांतरण नीति से बड़ी उम्मीद लगी थी परन्तु लिस्ट में नाम न पाकर अध्यापकों को कुछ सूझ नहीं रहा है।शिक्षकों ने सरकार से मांग की है कि इस मामले में हस्तक्षेप कर पुनः लिस्ट को संशोधित करके दोबारा जारी करने की कृपा की जाये तथा जो लोग शर्तों को पूरा करते हैं उन्हें सूची में स्थान दिया जाए।
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