लखनऊ बाबरी ढ़ाचा विध्वंस केस के 28 साल बाद आज केस का बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया। बताया गया कि केस की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस के यादव ने इस मामले में आज अपना फैसला सुना दिया।उन्होंने अपने महत्वपूर्ण फैसले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। उन्होने कहा कि ये घटना पूर्व नियोजित नही थी। वहां मौजूद लोगों ने भीड़ को रोकने की कोशिश की। घटना को भीड़ ने अंजाम दिया है। इसलिए उनके खिलाफ कोई प्रबल साक्ष्य नही थे। इस तरह किसी भी आरोपी को दोषी नही करार दिया जा सकता है।बतादें कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढ़ाचा
गिरने के बाद फैजाबाद में दो एफआईआर दर्ज कराई गई थी। एफआईआर नंबर 198 लाखों कार सेवकों के खिलाफ थी जबकि एफआईआर नंबर 198 संघ परिवार के कार्यकर्ताओं समेत आडवाणी, जोशी, तत्कालीन शिवसेना नेता बाल ठाकरे, उमा भारती आदि के खिलाफ थी।बाबरी विध्वंस केस में कुल 49 आरोपी थे लेकिन 17 आरोपियों की सुनवाई के दौरान निधन हो गया। इस केस में बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 32 लोगों पर लखनऊ के सीबीआई की अदालत से यह फैसला आया है।Post Top Ad
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